BREATH AND DISEASE सांस और रोग



जब किसी चलती हुई फिल्म  की  गति धीमी होती है तो हम हरेक चित्र को अलग अलग से देख पाते है  । उसका जो भी  भाग जोड़ना  वा काटना हो उसे सहज ही काट वा जोड़ सकते है ।

-क्रिकेट के खेल मे किसी बाल  के फेकने पर कोई झगडा  खड़ा  हो जाये तो उसे धीमी गति मे देखते है जिस से सही पता  लग जाता है कि बाल  गलत है या  नहीं ।

-ऐसे ही सांस की  गति धीमी होती है तो हम जीवन के  हरेक पहलू  को स्पष्टता  से देख पाते है । धीरे धीरे सांस लेने से हमारी आन्तरिक बुद्वि  को बल मिलता है जिस से जीवन के कठिन पलों मे हम सही निर्णय ले सकते है ।

-धीरे धीरे और लम्बी सांस लेने से आक्सीजन तथा  जीवनी विद्युत शरीर की हरेक कोशिका को  पहुंचती है जिस से सभी कोशिकाये शक्ति संपन्न बनती है और मनुष्य नीरोगी और उत्साही बनता है ।

सांस लेते समय  मन मे खुशी का भाव या कोई और सकारात्मक संकल्प रखना चाहिये,    इस से हम तनाव मुक्त रहेंगे । तथा  हरेक रोग  हमेशा  के लिये ठीक हो जायेगा । क्योंकि वास्तव  मे संकल्प ही वह  शक्ति है जिस से शरीर प्रभावित होता है ।

-गहरी सांस लेने से पेट, लीवर तथा  हृदय की मालिश होती रहती है ।

 -धीरे धीरे सांस लेने से पीनियल  ग्रंथि जिसमे आत्मा  रहती है  वह भी   पुष्ट होती है । उसको बल मिलता है ।

-यदि हम सांस पर कार्य कर सके तो  वर्तमान से जुड़ सकते है।  हमें जो पुरानी बाते है वह सहज ही भूल जायेगी । हम प्रकाश और अंतरिक्ष से भी  उंचा  जा सकते है ।

-जो सांस पर नियंत्रण करना सीख  जाता है  वह खुश मिजाज,  शक्ति सम्पन्न, साहस तथा  उत्साह से भरपूर रहता है ।

-चेहरे की  झुरीया ख़त्म हो जाती है क्योंकि लम्बा सांस लेने से सब से पहले जीवनी विद्युत चेहरे को ही मिलती है ।

-दुनिया मे जो प्राणायाम सिखाते  है वह सिर्फ सांस की विभिन्न  विधिया है । जिस  से  बीमारियाँ फ़िर फ़िर आ जाती है । अध्यात्म यह सिखाता  है कि अगर हम प्राणायाम  के समय  अपने मन मे संकल्प भी  शुध्द चलाये और यह भी  पता हो कि  कौन से संकल्प  चलाये तब हमें   अभूतपूर्व परिणाम मिलेंगे । बीमारियां    सदाकाल के लिये ख़त्म हो जायेगी  ।

-आप सोते हुये, चलते हुये, पढ़ते  हुये, योग लगाते हुये, खाली  पेट या खाना  खाने  के बाद  कभी भी, हर पल   यॆ अभ्यास कर सकते  है ।  अगर कभी असहज लगे तो कुछ  देर यॆ अभ्यास रोक दे फ़िर फ़िर करें । असहज इस लिये लगता है क्यों कि  शरीर को इसका अभ्यास नहीं है ।

AS  PURE OXYGEN PURUFIES OUR BLOOD,
SIMILARLY IF WE INHALE PURE THOUGHTS AT EVERY BREATH...OUR MIND WILL BE EMPOWERED WITH DIVINE WISDOM

Om shanti.💐

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